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आसनसोल मंडल ने 'आजादी का अमृत महोत्सव' के एक भाग के रूप में सुभाष चंद्र बोस की जयंती मनाई



आसनसोल, 24 जनवरी, 2022: भारत की आजादी के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में "आजादी का अमृत महोत्सव" के आयोजन के हिस्से के रूप मेंपूर्व रेलवे ने आज 24.01.2022 को मंडल रेल प्रबंधक कार्यालय में प्रख्यात स्वतंत्रता सेनानी "नेताजी सुभाष चंद्र बोस" की जयंती समारोह का आयोजन किया ।

श्री परमानंद शर्मामंडल रेल प्रबंधक/आसनसोलश्री एम.के.मीनाअपर मंडल रेल प्रबंधक-I, श्री बी.के.त्रिपाठी, अपर मंडल रेल प्रबंधक-II ने पूर्व रेलवे के आसनसोल मंडल के शाखा अधिकारियों और बड़ी संख्या में कर्मचारियों की मौजूदगी में नेताजी” के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की । इससे पहले श्री परमानंद शर्मामंडल रेल प्रबंधक,आसनसोल ने 24.01.2022 को मंडल रेल प्रबंधक कार्यालय के फ़ोयर में आसनसोल मंडल के अंडाल डीजल शेड के कारीगर द्वारा स्क्रैप से तैयार किए गए नेताजी सुभाष चंद्र बोस के चित्र(पोट्रेट) का अनावरण किया।

      नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म 1897 में उड़ीसा के कटक में हुआ थाउन्होंने कोलकाता से स्नातक की उपाधि प्राप्त की और भारतीय सिविल सेवा (आईसीएस) अधिकारी बनकर अपनी योग्यता साबित की। लेकिन वे आराम की जिन्दगी और अपनी नौकरी के साथ मिलने वाली सुविधाओं के के आदी नहीं थे। वे एक ऐसे योद्धा थेजिन्हें स्वतंत्रता के लिए संग्राम छेड़ना पड़ा था। महत्वपूर्ण देशों के राष्ट्राध्यक्ष उनके साथ खड़े रहे और नेताजी ने भारत के तटों से परे स्वतंत्रता संग्राम की आग जलाई। उन्हें भारत माता से इतना लगाव था कि गुलामी की जंजीरों में बंधा उनका देश उन्हें चैन से जीने नहीं देता था। भारत की सीमाओं से परे लोगों ने भी उसके प्रति दिलचस्पी दिखाई। महत्वपूर्ण देशों के राज्यों के प्रमुख उनके साथ खड़े रहे और उन्होंने एक सेना का निर्माण किया और उस बल को देश के दुश्मनों के सामने आजाद हिंद फौज (इंडियन नेशनल आर्मी) के रूप में प्रस्तुत किया।उन्होंने "तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हे आजादी दूंगा" (यू गिव मी ब्लडआई विल गिव यू फ्रीडम) और "जय हिंद" के नारे दिए। उन्होंने एक नई भावना के साथ "दिल्ली चलो" का नारा भी दिया। 


स्वतंत्रता के लिए बोस का संघर्ष न केवल भारत के लिए बल्कि तीसरी दुनिया के सभी देशों के लिए भी प्रेरणा साबित हुआ। बोस के नेतृत्व में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का उन देशों पर गहरा प्रभाव पड़ा। नेताजी का दर्जा उन्हें विश्व स्तर पर "स्वतंत्रता के नायक" के रूप में स्थापित करता है। भारत सरकार ने घोषणा की कि 23 जनवरी को पराक्रम दिवस या वीरता दिवस के रूप में मनाया जाएगा।

उल्लेखनीय है कि 23 जनवरी 2022 (रविवार) को छुट्टी थी जिसके परिणामस्वरूप नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती आज यानी 24 जनवरी, 2022 (सोमवार) को मनाई गई। 




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